दिव्यांगजन अपना मनोबल सदैव ऊँचा रखें। आपकी मदद के लिये केन्द्र व राज्य सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये सरकार कटिबद्ध है। यह बात उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह ने दिव्यांगजनों को मोटराईज्ड ट्राइस्किल वितरित करते समय कही। मंगलवार को यहाँ कलेक्ट्रेट में आयोजित हुए कार्यक्रम में श्री कुशवाह ने एक दर्जन से अधिक दिव्यांगजनों को मोटराईज्ड ट्राइस्किल सौंपी। मोटराईज्ड ट्राइस्किल के साथ-साथ हेलमेट व एक अतिरिक्त बैटरी भी प्रदान की गई है। ट्राइस्किल के लिये राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने अपनी विधायक निधि से धनराशि मुहैया कराई है। मोटराईज्ड ट्राइस्किल पाकर दिव्यांगजनों के चेहरे पर आई खुशी देखकर ऐसा लगा कि मानो उनकी उम्मीदों को पंख लग गए हैं।
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री कुशवाह ने कहा कि स्वयं का रोजगार स्थापित करने के इच्छुक दिव्यांगजनों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत आर्थिक मदद दिलाई जायेगी। साथ ही जनसंपर्क निधि से भी जरूरतमंद दिव्यांगजनो को विभिन्न प्रयोजन के लिये आर्थिक मदद दी जायेगी। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद दिव्यांगों से कहा कि यदि उन्हें किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत है तो वे उनसे टेलीफोन पर भी सीधे बात कर सकते हैं। श्री कुशवाह ने इस अवसर पर संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण को निर्देश दिए कि विशेष शिविर लगाकर ऐसे दिव्यांगों का पता लगाएँ, जिन्हें मोटराईज्ड ट्राइस्किल की जरूरत है। साथ ही इन कैम्प के माध्यम से स्वयं का रोजगार स्थापित करने के इच्छुक दिव्यांगों को भी चिन्हित करें।
कार्यक्रम में अपर कलेक्टर श्री रिंकेश वैश्य एवं संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय व नि:शक्तजन कल्याण श्री राजीव सिंह सहित अन्य संबंधित अधिकारी तथा ट्राइस्किल लेने आए दिव्यांगजन मौजूद थे।
गिरवाई क्षेत्र से आईं दिव्यांग महिला श्रीमती सुभद्रा कुशवाह को जब मोटराईज्ड ट्राइस्किल मिली तो उनकी खुशी देखते ही बनी। उनका कहना था कि हम पूजा के लिये रूई की बाती बनाकर अपना भरण-पोषण करते हैं। मोटराईज्ड ट्राइस्किल मिल जाने से अब हम आसानी से अपनी रूई बाजार तक पहुँचा सकेंगे। इसी तरह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे ग्राम सेंथरी निवासी दिव्यांग दिनेश सिंह बघेल का कहना था कि नौकरी पर पहुँचना मेरे लिये अभी तक बड़ा कठिनाई भरा सफर होता था। मोटराईज्ड साइकिल मिल जाने से अब यह सफर मेरे लिये आसान हो गया है। हस्तिनापुर से आए दिव्यांग रामबरन जैतवार कहने लगे कि गाँव में हमारी छोटी सी किराने की दुकान है। अब इस दुकान पर हम घिसट-घिसटकर नहीं फर्राटा भरते हुए पहुँचेंगे। इसी तरह एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक के रूप में पदस्थ ग्राम सियावरी निवासी रतनप्रकाश बोले कि अब हमें पढ़ाने के लिये जाने में बहुत आसानी हो गई है। ग्राम चक मेहरोली निवासी सरनाम सिंह जाटव भी मोटराईज्ड ट्राइस्किल मिल जाने से खुश थे। उनका कहना था कि अब हम अपनी दुकान पर शान के साथ अपनी मोटराईज्ड ट्राइस्किल पर बैठकर जाया करेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.